अगर इंसान को लंबे समय तक अंतरिक्ष में टिके रहना है या भविष्य में मंगल ग्रह पर रहना है, तो सबसे ज़रूरी कदमों में से एक होगा — वहां पौधे उगाने के नए तरीके सीखना या विकसित करना। धरती पर तो हमारे पास अनुकूल हालात होते हैं — जैसे ऑक्सीजन, सूरज की रोशनी, पानी, पोषक तत्वों वाली मिट्टी, जैविक पदार्थ और सूक्ष्म जीव, सही मात्रा में गुरुत्वाकर्षण और दूसरे सहायक कारक। लेकिन अंतरिक्ष में ऐसा माहौल नहीं होता — वहां जीवों के लिए ज़िंदगी आसान नहीं होती। हमारी धरती के वायुमंडल में मौजूद ओज़ोन परत न केवल इंसानों और जानवरों को हानिकारक किरणों से बचाती है, बल्कि यह पेड़-पौधों को भी सुरक्षा देती है।
अंतरिक्ष में वैज्ञानिक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के अंदर पौधे उगाने के कई तरह के प्रयोग कर रहे हैं। अब तक हम वहां लेट्यूस की तीन किस्में, चाइनीज़ पत्ता गोभी, मिज़ुना सरसों, रेड रशियन केल और ज़िनिया के फूल Veggie नाम के वेजिटेबल प्रोडक्शन सिस्टम में उगा चुके हैं। लेकिन सवाल ये है कि इन्हें बंद सिस्टम में ही क्यों उगाया जा रहा है? खुले सिस्टम में क्यों नहीं?
अरे, क्यों ऐसा है ये जानना है तो ज़रा ये बातें पढ़ लो।
अंतरिक्ष में खेती के लिए बंद सिस्टम का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?

- वायुमंडलीय स्थिति को नियंत्रित करने के लिए: पृथ्वी पर जैसे पौधों के लिए अनुकूल वातावरण खुद मौजूद होता है, वैसा स्पेस में नहीं होता। वहाँ हमें यह वातावरण बनाना या बनाए रखना पड़ता है। बंद सिस्टम की मदद से CO2 का स्तर, तापमान और दबाव नियंत्रित रखा जाता है, जिससे पौधे ठीक से बढ़ सकें।
- माइक्रोग्रैविटी में पानी और पोषक तत्व पहुंचाने के लिए: अंतरिक्ष में जब गुरुत्वाकर्षण बहुत कम या न के बराबर होता है, तो पानी और हवा की बूँदें अजीब तरीके से जमा हो जाती हैं, जिससे पौधों की जड़ों के लिए घुटन जैसी स्थिति बन सकती है। ऐसे में बंद सिस्टम में हाइड्रोपोनिक्स, एयरोपोनिक्स या छिद्रदार ट्यूब्स का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि जड़ों को लगातार पानी और ऑक्सीजन मिलती रहे।
- गैस के जमाव को रोकने के लिए: धरती पर तो हवा बहती रहती है, जिससे गैसें इधर-उधर फैल जाती हैं, लेकिन अंतरिक्ष में ऐसा नहीं होता। वहाँ पौधों के पास ऑक्सीजन (O₂) इकट्ठा हो जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) की कमी हो जाती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण पर असर पड़ता है। इस परेशानी से बचने के लिए पौधों को बंद सिस्टम में उगाया जाता है।
- तापमान को नियंत्रित करने के लिए: धरती पर वातावरण मौजूद होने की वजह से तापमान नियंत्रित रहता है, लेकिन अंतरिक्ष में ऐसा कोई वातावरण नहीं होता। इसलिए वहाँ पौधों की बढ़वार के लिए सही तापमान बनाए रखने के लिए एक बंद सिस्टम की ज़रूरत होती है।
- पर्याप्त रोशनी देने के लिए: धरती जैसी प्राकृतिक धूप न होने पर, बंद सिस्टम में एलईडी लाइट का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें खास तौर पर लाल (660 nm) और नीली (450 nm) रोशनी दी जाती है, जो पौधों की फोटोसिंथेसिस के लिए सबसे ज़्यादा असरदार होती है।
- संक्रमण से बचाव के लिए: धरती पर भी हम पूरी तरह से संक्रमण की संभावना को खत्म नहीं कर पाते, जो हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकता है। इसी तरह, स्पेस में पौधे उगाना भी हानिकारक बैक्टीरिया, फफूंद वगैरह के पनपने की जगह बन सकता है। और वहां की मुश्किल परिस्थितियों में कोई भी गलती महंगी साबित हो सकती है। इसलिए बंद सिस्टम में वैज्ञानिक किसी भी संक्रमण को आसानी से रोक या नियंत्रित कर सकते हैं।
- कचरा रिसायकल करने के लिए: BLSS डिज़ाइन, जैसे कि ESA का MELiSSA, स्पेस में पेशाब, मल और CO₂ को ऑक्सीजन और खाद में बदलने के लिए माइक्रोबियल रिएक्टर, शैवाल और फसलें एक साथ इस्तेमाल करते हैं। इस तरह, ये स्पेस में कचरा रिसायक्लिंग की समस्या का हल निकालते हैं।
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