पृथ्वी पर चंद्रमा की तुलना में ज्यादा कटाव क्यों होता है, इसे समझने के लिए हमें पहले यह देखना होगा कि कटाव किन वजहों से होता है और क्या वही वजहें चंद्रमा पर भी मौजूद हैं। अगर हैं, तो फिर हमें उनकी तीव्रता की तुलना करनी होगी। जब हम यह सब समझ लेंगे, तो फर्क बिल्कुल साफ नजर आने लगेगा।
धरती पर वातावरण, हवा, पानी और सूक्ष्म जीवों की गतिविधियाँ मिट्टी के कटाव में अहम भूमिका निभाती हैं, लेकिन चाँद पर हालात बिल्कुल अलग हैं। आइए इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं।
पृथ्वी पर चंद्रमा के मुकाबले ज्यादा कटाव (क्षरण) क्यों होता है?
- वायुमंडल की मौजूदगी: धरती पर वायुमंडल होने की वजह से न सिर्फ जीवन के लिए ज़रूरी तापमान संतुलन बना रहता है, बल्कि यही वायुमंडल जलवायु चक्र, हवा के बहाव, बारिश वगैरह में भी अहम भूमिका निभाता है — और यही सारी चीज़ें मिट्टी के कटाव में योगदान देती हैं। लेकिन चाँद पर वायुमंडल नहीं है, इसलिए वहाँ ये सारे प्रभाव नहीं होते।
- हवा: पृथ्वी पर तेज़ हवा मिट्टी के कणों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में मदद करती है, लेकिन चांद पर ऐसा कोई माध्यम नहीं होता।
- पानी: जब बारिश की बूंदें खुली ज़मीन पर गिरती हैं, तो वे मिट्टी के कणों को हिला देती हैं, जिससे कटाव होता है। इसी तरह, बहता हुआ नदी का पानी भी मिट्टी के कटाव का कारण बनता है। लेकिन चांद पर न तो बारिश होती है और न ही कोई नदी है, क्योंकि वहां न तो पानी है और न ही ऐसा वातावरण जो पानी के चक्र को बनाए रख सके।
- जीवित जीव: मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की सक्रियता और जानवरों की आवाजाही के कारण उसकी संरचना बिगड़ती है, जिससे कटाव होता है। लेकिन चंद्रमा पर जीवन नहीं है, इसलिए वहाँ ऐसा कुछ नहीं होता।
- टेक्टोनिक गतिविधि: चांद पर टेक्टोनिक गतिविधि अरबों साल पहले ही बंद हो गई थी, लेकिन धरती पर भूकंप, ज्वालामुखी फटना और प्लेटों की हलचल समय के साथ ज़मीन को तोड़ती और उसका आकार बदलती रहती है।
चांद पर सतह कटाव का एकमात्र कारण उल्कापिंडों की टक्कर और बेहद तापमान में होने वाले बदलाव हैं, जो धीरे-धीरे उसकी सतह को तोड़ते हैं — लेकिन यह प्रक्रिया बहुत ही धीमी होती है।
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